Madhu varma

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लेखनी कविता - हेलीकॉप्टर - बालस्वरूप राही

हेलीकॉप्टर / बालस्वरूप राही


वायुयान के पंखे आगे,
इस का पंखा है ऊपर।
दौड़ लगाए बिन उद जाता
फुर्ती से हेलीकॉप्टर।

चारों ओर घिरे हों पर्वत
फिर भी उड़ता फर फर फर,
चाहे जहां उतार लो,
इसे न लगता कोई डर।

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